बंद करे

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग

भारत के संविधान में देश को एक धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी एवं प्रजातान्त्रिक गणतन्त्र घोषित किया गया है। संविधान जहां देश के नागरिकों में धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही करता है, वहीं धार्मिक अल्पसंख्यको को अपने धर्म, भाषा तथा संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन का अधिकार भी प्रदान करता है। साथ ही उन्हें अपनी पसन्द की शैक्षिक संस्थाओं को स्थापित करने और उनके प्रबन्ध करने का अधिकार भी देता है।

अल्पसंख्यक वर्गो की सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि के परिप्रेक्ष्य में उनकी विशिष्ट समस्याओं का निराकरण करने एवं उनका शैक्षिक, सामाजिक एवं आर्थिक विकास करके उन्हें राष्ट्र एवं समाज की मुख्य धारा में लाने के उद्देश्य से शासन द्वारा अनेक योजनायें चलाई जा रही है। ऐसी योजनाओं एवं क्रियान्वयन, संचालन एवं समन्वय के लिये उत्तर प्रदेश शासन की विज्ञप्ति संख्या 4056/बीस-3-95-539(2)/95, दिनांक 12 अगस्त, 1995 द्वारा अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ नाम से एक अलग विभाग का गठन किया गया।

प्रदेश शासन की अधिसूचना संख्या 15/चालीस-2-94-14(15)/91 दिनांक 7.10.1994 द्वारा मुस्लिम, इसाई, सिक्ख, बौद्ध, एवं पारसी समुदायों तथा अधिसूचना संख्या 440/52-4-2003-1(3)-96, दिनांक 29 मार्च, 2003 द्वारा जैन समुदाय को अल्पसंख्यक अधिसूचित किया गया है।

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की वेबसाइट को देखने के लिए- क्लिक करे..